Personal Loan Rule : आज के समय में अगर अचानक पैसों की जरूरत पड़ जाए – चाहे शादी का खर्च हो, घर की मरम्मत, बच्चों की पढ़ाई या कोई मेडिकल इमरजेंसी – तो पर्सनल लोन एक बड़ा सहारा बन जाता है।
बैंक और फाइनेंस कंपनियां अब बड़ी आसानी से लोन देने लगी हैं। लेकिन जैसे लोन लेना आसान हो गया है, वैसे ही इसे समय पर चुकाना भी उतना ही जरूरी हो गया है।
ईएमआई ना भूले, वरना परेशानी तय है
पर्सनल लोन लेते वक्त आप जो ईएमआई तय करते हैं, वही आपकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है। हर महीने एक फिक्स डेट पर आपको ईएमआई भरनी होती है, जिसमें लोन की मूल राशि और ब्याज शामिल होता है।
अगर आपने समय पर किश्त नहीं चुकाई, तो इसका सीधा असर आपके क्रेडिट स्कोर यानी सिबिल स्कोर पर पड़ता है। स्कोर गिरा तो अगली बार लोन लेना मुश्किल हो जाएगा, या फिर ऊंची ब्याज दर पर लोन मिलेगा।
अगर नहीं चुका पाए लोन तो क्या होगा?
कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है कि इंसान ईएमआई नहीं चुका पाता – जैसे नौकरी चली जाए, बिजनेस में नुकसान हो जाए या कोई मेडिकल इमरजेंसी आ जाए।
कभी-कभी लोग जरूरत से ज्यादा लोन ले लेते हैं और बाद में चुकाने में दिक्कत होती है। कुछ लोग जानबूझकर भी लोन टालते हैं – ये सबसे खतरनाक स्थिति होती है।
बैंक क्या कर सकता है?
अगर आप लगातार ईएमआई नहीं चुकाते हैं, तो बैंक आपके खिलाफ सिविल केस दर्ज कर सकता है। कोर्ट लोन चुकाने का आदेश दे सकता है और अगर आपने फिर भी नहीं चुकाया, तो आपकी संपत्ति भी जब्त की जा सकती है। ये न सिर्फ आर्थिक रूप से भारी होता है, बल्कि आपकी सोशल लाइफ पर भी असर डालता है।
रिकवरी एजेंट का रोल
बैंक रिकवरी एजेंट्स की मदद लेता है जो आपसे बार-बार कॉल करके या घर आकर पैसे वसूलने की कोशिश करते हैं। हालांकि, ये एजेंट भी आरबीआई के नियमों के तहत ही काम कर सकते हैं – जैसे सुबह 8 बजे से पहले या शाम 7 बजे के बाद कॉल नहीं कर सकते और कोई धमकी या गाली-गलौज नहीं कर सकते।
लोन डिफॉल्ट से कैसे बचें?
सबसे पहले, लोन लेते वक्त अपनी इनकम और खर्चों का सही अंदाजा लगाएं। कोशिश करें कि आपकी ईएमआई आपकी इनकम का 40% से ज्यादा न हो।
साथ ही, एक ऐसा इमरजेंसी फंड बनाएं जिससे कम से कम 3-6 महीने की ईएमआई कवर हो जाए। अगर फिर भी परेशानी हो, तो तुरंत अपने बैंक से बात करें। बैंक कई बार लोन की अवधि बढ़ाकर या किश्त कम करके मदद करता है।
लोन लेना गलत नहीं है, लेकिन उसे चुकाना आपकी जिम्मेदारी है। अगर आप सावधानी से प्लान करें, बजट बनाकर चलें और समय पर किश्त भरें, तो किसी भी तरह की कानूनी या आर्थिक परेशानी से बच सकते हैं।