Gas Cylinder Price – आजकल गैस सिलेंडर की कीमतें जिस तेजी से बढ़ रही हैं, उससे आम आदमी की परेशानी बढ़ती जा रही है। महीने का बजट बनाना पहले ही मुश्किल था और अब रसोई गैस की कीमतों ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। हर घर में गैस जरूरी है, लेकिन जब कीमतें लगातार बढ़ती हैं, तो काफी कुछ मैनेज करना पड़ता है। हालांकि सरकार ने कुछ राहत देने के लिए सब्सिडी और योजनाएं चलाई हैं, लेकिन फिर भी कई लोगों के लिए गैस सिलेंडर लेना एक बड़ी टेंशन बना हुआ है।
गैस की बढ़ती कीमतों का असर
एलपीजी सिलेंडर की कीमतें धीरे-धीरे नहीं बल्कि सीधे छलांग लगाकर बढ़ रही हैं। इसका सीधा असर मध्यम और गरीब परिवारों पर पड़ रहा है। जब हर महीने गैस सिलेंडर के लिए तीन से चार सौ रुपए ज्यादा देने पड़ें, तो बाकी खर्चों में कटौती करनी ही पड़ती है। जो लोग पहले महीने में दो सिलेंडर मंगवा लेते थे, अब सोच-समझकर एक सिलेंडर से ही काम चला रहे हैं।
हर जगह एक जैसी कीमत नहीं
एक बात और है जो लोगों को परेशान करती है – हर राज्य और शहर में गैस सिलेंडर की कीमत एक जैसी नहीं होती। कहीं गैस सस्ती है, तो कहीं ज्यादा महंगी। इसकी वजह होती है – ट्रांसपोर्ट का खर्चा, टैक्स और लोकल प्रशासनिक खर्च। यानी अगर आप दिल्ली में हैं तो हो सकता है आपको जो सिलेंडर 950 में मिले, वही किसी दूसरे राज्य में 1050 का हो। सरकार कोशिश कर रही है कि इस तरह की असमानता कम की जाए ताकि हर किसी को बराबरी से फायदा मिले।
सब्सिडी का सहारा
अब बात करते हैं उस राहत की जो सरकार दे रही है। फिलहाल सरकार 300 से 400 रुपए तक की सब्सिडी देती है। ये सब्सिडी सीधे आपके बैंक अकाउंट में जाती है। अगर आप सब्सिडी के पात्र हैं तो आपको सिलेंडर खरीदते समय पूरा पैसा देना होगा, लेकिन कुछ दिन बाद आपके खाते में सब्सिडी की रकम वापस आ जाएगी। एक उपभोक्ता को साल में 12 सिलेंडर तक सब्सिडी मिलती है।
उज्ज्वला योजना – गरीबों की बड़ी मदद
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना को काफी तारीफ मिल रही है क्योंकि इसके जरिए गरीब परिवारों की महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं। गांव-देहात में जहां आज भी लकड़ी और कोयले से चूल्हा जलता था, वहां अब गैस के चूल्हे जलने लगे हैं। इस योजना का मकसद यही है कि महिलाएं धुएं से होने वाली बीमारियों से बच सकें और उन्हें साफ-सुथरा ईंधन मिले।
महिलाओं के लिए फायदेमंद
उज्ज्वला योजना से महिलाओं की सेहत पर अच्छा असर पड़ा है। पहले जब लकड़ी जलती थी तो रसोई में धुआं भर जाता था, जिससे आंखों में जलन, सांस की दिक्कत और फेफड़ों की बीमारियां आम हो गई थीं। अब गैस से खाना बनता है, तो ये सब खतरे कम हो गए हैं। साथ ही घर का माहौल भी साफ और ताजा रहता है।
समय और मेहनत की बचत
गांव की महिलाओं को पहले लकड़ियां इकट्ठा करने के लिए जंगलों तक जाना पड़ता था। इससे उनका काफी वक्त और मेहनत लगती थी। अब गैस चूल्हे से खाना बनाना आसान हो गया है। गैस जल्दी जलती है और खाना भी जल्दी बनता है। इससे महिलाओं को समय मिलता है कि वो घर के बाकी काम या कोई छोटा-मोटा रोजगार कर सकें।
आर्थिक रूप से भी सशक्त हो रही हैं महिलाएं
अब जब महिलाओं को गैस मिल गई है तो वे बाहर जाकर कमाने या घर पर ही कुछ कारीगरी करने का वक्त निकाल पा रही हैं। कई महिलाएं अब सिलाई, बुनाई या हस्तशिल्प जैसे काम शुरू कर चुकी हैं। इससे उन्हें अपनी कमाई होने लगी है और वे खुद पर निर्भर बन रही हैं। आत्मविश्वास भी बढ़ा है और परिवार की आय में भी इजाफा हुआ है।
गांवों में जिंदगी बदली है
गांवों में अब धीरे-धीरे माहौल बदल रहा है। उज्ज्वला योजना से लोगों की सोच बदली है, सेहत में सुधार हुआ है और जीवनशैली में भी फर्क आया है। महिलाएं अब बच्चों की पढ़ाई और सेहत पर ध्यान दे पा रही हैं। घर के अंदर का माहौल साफ और सुकूनभरा हो गया है।
सरकार की आगे की प्लानिंग
सरकार इस पर भी काम कर रही है कि आगे चलकर गैस और सस्ती हो और सब्सिडी का सिस्टम और आसान बनाया जाए। साथ ही वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर भी ध्यान दिया जा रहा है ताकि पर्यावरण को नुकसान न हो और हर किसी को स्वच्छ ईंधन मिल सके।
गैस सिलेंडर की कीमतें जरूर बढ़ी हैं, लेकिन सरकार की योजनाओं से आम आदमी को थोड़ी राहत मिली है। उज्ज्वला योजना जैसे कदमों से खासतौर पर गरीब और ग्रामीण परिवारों की जिंदगी में बदलाव आया है। अभी भी कुछ दिक्कतें हैं, लेकिन अगर सरकारी योजनाएं सही तरीके से लागू हों, तो आने वाले वक्त में हर घर तक सस्ता और साफ-सुथरा ईंधन पहुंच सकता है।