NHAI New Rule – अगर आप भी हाईवे पर सफर करते वक्त बार-बार टोल देने से परेशान हो जाते हैं, तो अब आपके लिए एक खुशखबरी है। NHAI यानी नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने एक नया फैसला लिया है जिससे आपकी ये टेंशन काफी हद तक कम होने वाली है।
आखिर नया नियम है क्या?
अब से दो टोल प्लाजा के बीच कम से कम 60 किलोमीटर की दूरी होनी जरूरी होगी। मतलब, अगर आपने एक टोल प्लाजा पार कर लिया है, तो अगला टोल आपको कम से कम 60 किलोमीटर बाद ही मिलेगा।
जरूरी बातें:
- दो टोल प्लाजा के बीच कम से कम 60 KM की दूरी होगी।
- नए बनने वाले हाईवे पर ये नियम तुरंत लागू होगा।
- पुराने टोल भी धीरे-धीरे इसी फॉर्मेट में बदले जाएंगे।
क्यों लिया गया ये फैसला?
दरअसल, लोगों की लगातार शिकायतें आ रही थीं कि छोटे-छोटे फासले पर टोल बना दिए जाते हैं, जिससे यात्रा महंगी और झुंझलाने वाली हो जाती है। कई जगह तो हर 20-25 किलोमीटर पर टोल था। अब सरकार ने इन दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए ये कदम उठाया है।
फायदा किसे होगा?
- सबसे ज्यादा फायदा आम यात्रियों को मिलेगा।
- लॉजिस्टिक्स कंपनियों की लागत भी कम होगी।
- डिजिटल और GPS आधारित टोलिंग सिस्टम को भी बढ़ावा मिलेगा।
बार-बार टोल देने का क्या असर पड़ता था?
थोड़ी सी गणना से समझते हैं:
यात्रा दूरी | पुराने नियम (हर 30 KM पर टोल) | नए नियम (हर 60 KM पर टोल) | अनुमानित बचत |
---|---|---|---|
240 KM | 8 टोल × ₹90 = ₹720 | 4 टोल × ₹90 = ₹360 | ₹360 की बचत |
300 KM | 10 टोल × ₹90 = ₹900 | 5 टोल × ₹90 = ₹450 | ₹450 की बचत |
480 KM | 16 टोल × ₹90 = ₹1440 | 8 टोल × ₹90 = ₹720 | ₹720 की बचत |
अपना अनुभव:
मैंने पिछले महीने दिल्ली से जयपुर का ट्रिप किया था। हर 25-30 KM पर एक टोल आ जाता था और करीब ₹750 सिर्फ टोल में उड़ गए। ईंधन खर्च ₹1000 था, मतलब आधे से ज्यादा पैसे टोल में चले गए। अगर ये नया नियम तब होता, तो कम से कम ₹300 की बचत हो जाती!
GPS आधारित टोलिंग सिस्टम का क्या रोल रहेगा?
NHAI सिर्फ टोल की दूरी ही नहीं बढ़ा रहा है, बल्कि GPS आधारित टोलिंग को भी प्रमोट कर रहा है। इसमें आपकी गाड़ी जितना सफर करेगी, उतना ही टोल कटेगा — न ज्यादा, न कम।
इसके फायदे:
- बिना रुके टोल का ऑटोमैटिक पेमेंट।
- लंबी लाइनों से छुटकारा।
- ज्यादा पारदर्शी सिस्टम।
अभी क्या स्टेटस है?
- कुछ रूट्स पर GPS टोल का पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है।
- अगले 1-2 साल में इसे पूरे देश में लागू करने की प्लानिंग है।
पुराने टोल प्लाजा का क्या होगा?
जिन टोल प्लाजा के बीच 60 KM से कम की दूरी है, उनके लिए दो ऑप्शन हैं:
- या तो किसी एक टोल को हटा दिया जाएगा,
- या दोनों को मिलाकर एक यूनिट बना दी जाएगी।
सरकार कोशिश कर रही है कि पुराने ऑपरेटरों के साथ मिलकर ऐसा हल निकाला जाए जिससे यात्रियों को भी राहत मिले और टोल ऑपरेटर का भी नुकसान न हो।
यात्रियों को अब क्या करना चाहिए?
अगर आप अक्सर हाईवे ट्रैवल करते हैं तो:
- अपनी गाड़ी में FASTag जरूर लगवाएं।
- सफर से पहले Google Maps या Toll Guru जैसी साइट्स से टोल प्लाजा की दूरी और संख्या चेक कर लें।
- GPS टोल सिस्टम को सपोर्ट करने के लिए अपडेटेड FASTag यूज करें।
सफर अब सस्ता और आरामदायक
कुल मिलाकर, ये नया नियम सफर को सस्ता, आसान और फास्ट बनाने वाला है। अब बार-बार रुकने और पैसे खर्च करने की झंझट नहीं होगी। लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री को भी इससे बड़ी राहत मिलेगी और इसका पॉजिटिव असर महंगाई पर भी पड़ सकता है।
ये फैसला क्यों है गेमचेंजर?
- आम जनता को सीधी राहत मिलेगी।
- सफर में ट्रैफिक और समय दोनों की बचत होगी।
- टोलिंग सिस्टम में ज्यादा पारदर्शिता आएगी।
- टेक्नोलॉजी-बेस्ड टोलिंग सिस्टम का रास्ता खुलेगा।
अगर आप भी हाईवे पर टोल टोल खेलते-खेलते थक गए हैं, तो बस थोड़ा इंतजार करिए। जल्दी ही आपके सफर का खर्च और मूड दोनों बेहतर होने वाले हैं!