सिर्फ वसीयत से प्रोपर्टी के मालिक बन सकते है या नहीं, जानिये सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला – Supreme Court Decision

Supreme Court Decision : हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि वसीयत (Will) और पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney) जैसे दस्तावेजों से किसी भी व्यक्ति को अचल संपत्ति का मालिकाना हक नहीं मिल सकता है। यह फैसला घनश्याम बनाम योगेंद्र राठी मामले में सुनाया गया है, जिसमें कोर्ट ने इन दस्तावेजों की कानूनी स्थिति पर महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने इस मामले में कहा कि वसीयत और पावर ऑफ अटॉर्नी जैसे दस्तावेजों से किसी को भी अचल संपत्ति में अधिकार नहीं मिल सकता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इन दस्तावेजों को संपत्ति के मालिकाना हक के लिए मान्यता देना कानून के खिलाफ है।

सुप्रीम कोर्ट ने सूरज लैंप एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड बनाम हरियाणा राज्य एवं अन्य (2009) के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि पंजीकृत विक्रय विलेख के स्थान पर विक्रय करार, पावर ऑफ अटॉर्नी और वसीयत के निष्पादन द्वारा अचल संपत्ति को अंतरित करने की प्रथा की निंदा की थी।

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वसीयत से क्यों नहीं मिलता मालिकाना हक?

वसीयत एक ऐसा दस्तावेज है जो वसीयतकर्ता की मृत्यु के बाद लागू होता है। जब तक वसीयतकर्ता जीवित रहता है, तब तक वसीयत का कोई कानूनी प्रभाव नहीं होता। अतः वसीयत से किसी को भी अचल संपत्ति का मालिकाना हक नहीं मिल सकता है।

पावर ऑफ अटॉर्नी का महत्व और सीमाएं

पावर ऑफ अटॉर्नी एक ऐसा दस्तावेज है जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति अपने अधिकारों को दूसरे व्यक्ति को सौंपता है। हालांकि, पावर ऑफ अटॉर्नी से केवल प्रॉपर्टी के लेन-देन के लिए अधिकार मिलता है, न कि मालिकाना हक के लिए। यदि पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर द्वारा कोई विक्रय विलेख निष्पादित नहीं किया जाता, तो पावर ऑफ अटॉर्नी का कोई कानूनी महत्व नहीं होता।

प्रॉपर्टी का मालिकाना हक कैसे प्राप्त करें?

अचल संपत्ति का मालिकाना हक प्राप्त करने के लिए उसका विधिवत पंजीकरण कराना आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि 100 रुपये से अधिक मूल्य वाली किसी भी अचल संपत्ति में अधिकार और स्वामित्व के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी है। वसीयत और पावर ऑफ अटॉर्नी जैसे दस्तावेज प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन की जगह नहीं ले सकते हैं।

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आम लोगों के लिए क्या है इसका मतलब?

इस फैसले का मतलब है कि यदि आप किसी प्रॉपर्टी के मालिक बनना चाहते हैं, तो आपको उसका विधिवत पंजीकरण कराना होगा। वसीयत और पावर ऑफ अटॉर्नी जैसे दस्तावेज महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इनसे मालिकाना हक नहीं मिलता है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय प्रॉपर्टी के मामलों में कानूनी प्रक्रिया की महत्ता को रेखांकित करता है।

वसीयत और पावर ऑफ अटॉर्नी जैसे दस्तावेज प्रॉपर्टी के मालिकाना हक के लिए पर्याप्त नहीं हैं। अचल संपत्ति का मालिकाना हक प्राप्त करने के लिए उसका विधिवत पंजीकरण कराना अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट के इस महत्वपूर्ण फैसले ने प्रॉपर्टी के मामलों में कानूनी प्रक्रिया की महत्ता को स्पष्ट किया है।

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