Crude Oil Price : दुनिया भर में चल रही आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच कच्चे तेल की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गई हैं, जो कि पिछले चार सालों का सबसे निचला स्तर है।
यह खबर भारत के लिए राहत भरी मानी जा रही है। जानकारों का मानना है कि इस गिरावट से भारत को आर्थिक मजबूती मिलेगी, खासतौर पर जब देश को सीमापार तनाव और वैश्विक अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा है।
कैसे फायदा मिलेगा भारत को?
भारत अपनी जरूरत का लगभग 85% कच्चा तेल आयात करता है। ऐसे में तेल की कीमतों में गिरावट से आयात बिल घटेगा और सरकार के पास ज्यादा पैसा बचेगा, जिसे वह विकास कार्यों में इस्तेमाल कर सकती है।
GDP पर असर
कच्चे तेल की कीमतों का सीधा असर देश की GDP वृद्धि दर पर पड़ता है। जब तेल सस्ता होता है तो सरकार के खर्च कम हो जाते हैं और विकास के लिए ज्यादा फंड उपलब्ध होता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, फिलहाल वैश्विक हालात ऐसे नहीं हैं कि तेल की कीमतें जल्दी बढ़ें, जिससे भारत को आने वाले महीनों में स्थिरता मिल सकती है।
आयात बिल में भारी कमी
बीते एक महीने में कच्चे तेल की कीमतें 10 डॉलर प्रति बैरल तक कम हुई हैं। 2024-25 में भारत ने 185 अरब डॉलर का पेट्रोलियम आयात किया था, जो देश के कुल आयात का 25% हिस्सा है। अब तेल सस्ता होने से यह आंकड़ा काफी घट सकता है और सरकार को राजस्व बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
रुपया और विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होगा
2023-24 में कच्चे तेल की कीमतें 71 से 85 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहीं, लेकिन अब जब ये 60 डॉलर के पास पहुंच चुकी हैं, तो इससे विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूती मिलेगी और भारतीय रुपया भी स्थिर रहेगा। यह स्थिति भारत की अर्थव्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूती प्रदान करेगी।
सरकार के लिए राजस्व बढ़ाने का मौका
तेल की कीमतों में गिरावट से सरकार को उत्पाद कर (Excise Duty) बढ़ाने का मौका मिल गया है। हाल ही में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर दो-दो रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी।
अब जब तेल और सस्ता हो गया है, तो फिर से टैक्स बढ़ने की संभावना है। एक-एक रुपये बढ़ाने से सरकार को 1600 करोड़ रुपये तक की सालाना कमाई हो सकती है।
जनता पर नहीं पड़ेगा बोझ
हालांकि उत्पाद कर बढ़ने से आम जनता पर कोई सीधा असर नहीं होगा। चूंकि तेल की बेसिक कीमत घट रही है, इसलिए कंपनियों को मुनाफा कमाने का अच्छा मौका मिल जाएगा और वे उपभोक्ताओं पर बोझ नहीं डालेंगी।
इससे पहले भी 2014 से 2016 के बीच सरकार ने 9 बार टैक्स बढ़ाया था, जिससे 2015 में 90,000 करोड़ और 2017 में 2.42 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई थी।