Tenant Rights : आज के दौर में किराए के मकान में रहना एक आम बात हो गई है, खासकर शहरों में। लेकिन कई बार मकान मालिक और किराएदार के बीच छोटे-छोटे मसले बड़े झगड़ों में बदल जाते हैं।
इन्हीं झगड़ों को सुलझाने और रोकने के लिए सरकार ने कुछ खास कानूनी प्रावधान बनाए हैं। अगर आप भी किराए पर रह रहे हैं, तो इन नियमों और अधिकारों को जानना आपके लिए बेहद जरूरी है।
सबसे जरूरी है रेंट एग्रीमेंट
जब भी आप किराए पर कोई मकान लें, सबसे पहले एक लिखित रेंट एग्रीमेंट जरूर बनवाएं। इसमें किराए की राशि, कितने महीने का एग्रीमेंट है, और क्या शर्तें लागू होंगी – ये सब साफ-साफ लिखा होता है। बिना एग्रीमेंट के रहना कानूनी रूप से जोखिम भरा हो सकता है।
अगर आपने एग्रीमेंट साइन किया है, तो मकान मालिक आपको उसके तय समय से पहले नहीं निकाल सकता – जब तक कि आप दो महीने तक लगातार किराया न चुकाएं।
किराएदार के अधिकार – जो हर किसी को पता होने चाहिए
हर किराएदार को कुछ बेसिक अधिकार मिलते हैं। जैसे – आपको पानी, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं मिलनी ही चाहिए। मकान मालिक इसका जिम्मेदार होता है। आप हर महीने दिए गए किराए की रसीद मांग सकते हैं, और मकान मालिक को यह देनी भी चाहिए ताकि भविष्य में कोई गड़बड़ न हो।
किराया बढ़ाना हो तो मकान मालिक को देना होगा नोटिस
कोई भी मकान मालिक मनमर्जी से किराया नहीं बढ़ा सकता। उसे कम से कम 3 महीने पहले लिखित नोटिस देना जरूरी होता है। इस नोटिस में ये साफ होना चाहिए कि नया किराया कितना होगा। किराएदार को इस समय का फायदा मिलता है – चाहे तो वो नया घर ढूंढ सकता है या तय रकम पर बात कर सकता है।
मरम्मत की जिम्मेदारी किसकी?
घर में अगर कोई मरम्मत या रिपेयरिंग की जरूरत होती है, तो इसकी जिम्मेदारी ज़्यादातर मामलों में मकान मालिक की होती है। अगर वो खर्च किराएदार से करवाता है, तो किराएदार उसे किराए में एडजस्ट करने की मांग कर सकता है। हालांकि किसी भी मरम्मत से पहले मकान मालिक को किराएदार को सूचित करना जरूरी है।
बिना नोटिस बेदखली है गैरकानूनी
अगर मकान मालिक चाहे कि आप घर खाली करें, तो वह कम से कम 15 दिन पहले नोटिस देना ज़रूरी है। बिना नोटिस के किराएदार को निकालना गैरकानूनी है। ऐसे में आप कानूनी कार्रवाई भी कर सकते हैं।
किराएदार की निजता का भी है हक
मकान मालिक को आपकी निजता का सम्मान करना होता है। वो आपकी इजाज़त के बिना कमरे में नहीं घुस सकता और न ही आपका सामान हटा सकता है। जब तक आप किराया सही समय पर दे रहे हैं और मकान का सही उपयोग कर रहे हैं, आपको पूरी आज़ादी और सुरक्षा मिलती है।
विवाद हो तो कहां जाएं?
अगर कोई बड़ा विवाद हो जाए, तो आप रेंट अथॉरिटी में शिकायत कर सकते हैं। ये सरकारी संस्था होती है जो किराएदार और मकान मालिक के बीच झगड़ों को सुलझाती है।
आखिर में…
किराएदारी एक कानूनी रिश्ता है, जिसमें दोनों पक्षों के हक होते हैं। अगर आप अपने अधिकारों से वाकिफ हैं, तो कोई भी मकान मालिक आपकी मजबूरी का फायदा नहीं उठा सकता। जरूरत पड़ने पर सही कानूनी रास्ता अपनाएं और अपने हक की रक्षा करें।